हिंदू देवी-देवताओं के 108 नाम (अष्टोत्तर शतनामावली)
क्या आप जानना चाहते हैं कि हिंदू देवी-देवताओं के नामों का जाप 108 बार क्यों किया जाता है? यह संख्या सिर्फ एक अंक नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा और जीवन के कई पहलुओं का प्रतीक है। देवी-देवताओं के 108 नाम का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आध्यात्मिक विकास और कई तरह के भौतिक लाभ मिलते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको ईश्वर के करीब लाती है और आपके जीवन से नकारात्मकता को दूर करती है।
आज का ज्योतिषीय विचार
“ज्योतिष ज्ञान से जीवन की कठिनाइयाँ सरल हो सकती हैं।”
हिंदू धर्म में, मंत्र जाप और देवी-देवताओं के नाम का स्मरण एक पवित्र और शक्तिशाली अभ्यास माना जाता है। जब हम किसी देवी या देवता के 108 नामों का जाप करते हैं, जिसे अष्टोत्तर शतनामावली कहा जाता है, तो हम न सिर्फ उनकी पूजा करते हैं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा से भी जुड़ते हैं। यह अभ्यास जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक प्रगति लाता है।
108 नामों का जाप करने के लाभ
हिंदू देवी-देवताओं के 108 नामों का जाप करने से व्यक्ति को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं:
- आध्यात्मिक लाभ: यह व्यक्ति को ईश्वर के करीब लाता है और भक्ति का अनुभव करने में मदद करता है। यह मोक्ष प्राप्ति की ओर एक कदम है।
- समस्याओं से मुक्ति: यदि आप जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो इन नामों का जाप करने से आपको मानसिक शांति मिलती है और समस्याओं को दूर करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- नकारात्मकता से बचाव: यह शारीरिक और मानसिक बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। माना जाता है कि इन नामों के जाप से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- एकाग्रता में वृद्धि: यह ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे मन शांत और स्थिर होता है।
संख्या 108 का महत्व
हिंदू धर्म में 108 की संख्या को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसका महत्व ज्योतिष, आयुर्वेद और यहां तक कि अंक ज्योतिष में भी है।
वैदिक ज्योतिष में 108 का महत्व
- वैदिक ज्योतिष में 9 ग्रह और 12 राशियां हैं। इनका गुणनफल (9 x 12) 108 होता है।
- 27 नक्षत्रों को चार दिशाओं से गुणा करने पर (27 x 4) 108 आता है।
- श्री यंत्र में 54 ऊर्जा केंद्र हैं, जिन्हें पुरुष और स्त्री में विभाजित करने पर (54 x 2) 108 होता है।
- सूर्य का व्यास पृथ्वी के व्यास से 108 गुना है और पृथ्वी से सूर्य की दूरी सूर्य के व्यास से 108 गुना मानी जाती है।
आयुर्वेद और ध्यान में 108 का महत्व
- आयुर्वेद के अनुसार, मनुष्य के शरीर में 108 मर्म बिंदु होते हैं, जो जीवन शक्ति के केंद्र हैं।
- ध्यान की 108 अलग-अलग शैलियाँ मानी जाती हैं।
- एक योग मुद्रा 'सूर्य नमस्कार' में 12 चरण होते हैं, जो 9 चक्रों के साथ मिलकर 108 चरण बनाते हैं।
बौद्ध धर्म में 108 का महत्व
- बौद्ध धर्म में, 108 सांसारिक इच्छाएं मानी गई हैं।
- बौद्ध माला (जप माला) में 108 मनके होते हैं, जिनका उपयोग प्रार्थना और ध्यान के लिए किया जाता है।
अंक ज्योतिष में 108 का महत्व
अंक ज्योतिष में 108 को 'एंजल नंबर' माना जाता है। यह कड़ी मेहनत, आत्म-विश्वास और आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति का संदेश देता है। यह अंक बताता है कि हमें उन चीजों को छोड़ देना चाहिए जो हमारे नियंत्रण में नहीं हैं और ब्रह्मांड पर भरोसा करना चाहिए।
इन सभी कारणों से, 108 की संख्या सिर्फ एक अंक नहीं, बल्कि ब्रह्मांड और हमारे जीवन के बीच का एक गहरा संबंध है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में इस संख्या का इतना सम्मान किया जाता है।