वास्तु मंत्र वैदिक मंत्र: समस्याओं का समाधान करने के लिए शक्तिशाली उपाय

वास्तु मंत्र वैदिक मंत्र (Vedic Mantra) वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का एक प्रमुख साधन है। यह सिर्फ शब्दों का एक समूह नहीं है, बल्कि ध्वनि और कंपन का एक संयोजन है जो व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ जोड़ता है। आइए, इस लेख में हम मंत्रों की शक्ति, उनके लाभ और समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न प्रकार के मंत्रों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

वास्तु मंत्र

वास्तु वैदिक मंत्र (वास्तु पुरुष मंत्र)

नमस्ते वास्तु पुरुषाय भूशय्या भिरत प्रभो | मद्गृहं धन धान्यादि समृद्धं कुरु सर्वदा ||

वास्तु दोष निवारण मंत्र

ॐ वास्तोष्पते प्रति जानीद्यस्मान स्वावेशो अनमी वो भवान यत्वे महे प्रतितन्नो जुषस्व शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्प्दे स्वाहा |

वास्तु दोष निवारण मंत्र -2

ॐ वास्तोष्पते प्रतरणो न एधि गयस्फानो गोभि रश्वे भिरिदो अजरासस्ते सख्ये स्याम पितेव पुत्रान्प्रतिन्नो जुषस्य शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्प्दे स्वाहा |

वास्तु दोष निवारण मंत्र -3

ॐ वास्तोष्पते शग्मया स र्ठ(ग्वग्) सदाते सक्षीम हिरण्यया गातु मन्धा । चहिक्षेम उतयोगे वरन्नो यूयं पातस्वस्तिभिः सदानः स्वाहा । अमि वहा वास्तोष्पते विश्वारूपाशया विशन् सखा सुशेव एधिन स्वाहा ।

वास्तु दोष निवारण मंत्र - 4

ॐ वास्तोष्पते ध्रुवास्थूणां सनं सौभ्या नां द्रप्सो भेत्ता पुरां शाश्वती ना मिन्क्षे मुनीनां सखा स्वाहा |

आज का ज्योतिषीय विचार

“कुंडली आत्मा का दर्पण है।”

— महर्षि पराशर